पदयात्रा या दंडवत यात्रा कैसे करनी है उसके सही नियम-Dandwat aur Padyatra Ka Date
सभी को हिमांशु रमन की तरफ से जय बाबा मां की, बाबा मां की कृपा से जो भक्त सक्षम नहीं है उनके लिए बहुत ही अद्भुत शक्ति खुली है जो की दंडवत यात्रा एवं पदयात्रा के रूप में हम लोगों के समक्ष बहुत ही मीठा फल आया हुआ है.
इस तप यात्रा की फल स्वरुप हमें बाबा मां एवं गुरुदेव द्वारा वनडे हवन का पुण्य अर्जित होगा जिसकी अपार ऊर्जा से हम अपनी पूर्वजों की मुक्ति एवं शुद्ध प्रक्रिया कर सकते हैं गुरुदेव ने दंडवत एवं पदयात्रा का कुछ विशेष दिन रखा हुआ है जैसे की हर महीने की पूर्णिमा को दीक्षा का प्रोग्राम दरबार में मनाया जाता है.
इसके तपश्चात अगली तारीख को दंडवत एवं पदयात्रा का तिथि गुरुदेव ने निश्चित किया हुआ है जिसका लाभ आप सभी भक्त उठा सकते हैं दंडवत एवं पदयात्रा के कुछ विशेष नियम है जिनको अपनाकर आप बहुत ही आसानी से इस तप को संपन्न कर पाएंगे और बाबा मां की कृपा से आप पुण्य अर्जित कर पाएंगे गुरुदेव द्वारा आदेश है कि जितने भी भक्ति एवं बाबा के शिष्य दंडवत एवं पदयात्रा करने की इच्छा रखते हैं वह सर्वप्रथम दरबार में जरूर आए और बाबा मां की अर्जी लगाई और जो भक्त बंधन नहीं लगाया है वह कमर में बंधन लगे बंधन लगाने की प्रक्रिया हमने अपने पिछले पोस्ट में बताया हुआ है उसको आप पढ़ सकते हैं या फिर दरबार में आठ नंबर काउंटर पर आप पूछ सकते हैं.
वहां पर सभी सेवादार आपकी सेवा में तत्पर हैं तो अर्जी बंधन लगाने से बाबा मां आपके ऊपर एक सुरक्षा का कवच लगा देते हैं जिसके जरिए आपको कोई भी नकारात्मक गंदगी आपको प्रभावित नहीं कर पाती है बाकी आपकी श्रद्धा और विश्वास पर आपकी यात्रा सरल होगी और सभी भक्त एवं शिष्य बाबा मां से संकल्प जरूर करें अर्जी दरबार में लगते समय आप बाबा मन से खूब गहरे में जाकर खूब भावपूर्वक संकल्प जरूर करें कि बाबा मैन यह जो मैं पदयात्रा अथवा दंडवत यात्रा करने जा रहा हूं,
इसको सा कुशल मंगल पूर्ण कराने की कृपा करें और दंडवत यात्रा के दौरान जो भी मुझे कष्ट होते हैं उसकी अनुभूति होने की स्मृति को नष्ट कर दिया जाए ताकि कोई भी कष्ट महसूस ना हो और हम सरलता से यात्रा को संपन्न कर सके.
दोस्तों इस तरह से आप बाबा मन से अर्जी संकल्प करके आप अगले दिन यात्रा के लिए निकलेंगे और जरूर बाबा मां आपके इस यात्रा को सरल सुगम बनाने की कृपा करेंगे सभी को जय बाबा की हरिहर.